मिशाल: कांवड़ियों की सेवा में निस्वार्थ भाव से जुटे यामीन खान और डॉ. नैयमुद्दीन

मिशाल: कांवड़ियों की सेवा में निस्वार्थ भाव से जुटे यामीन खान और डॉ. नैयमुद्दीन
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गुड़गांव
देश में मॉब लिंचिंग की घटनाओं के बीच प्रदेश में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो जाति, धर्म से ऊपर उठकर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहे हैं। मेवात के झिमरावट गांव के एक्युप्रेशर एक्सपर्ट यामीन खान और झिरका के डॉ. नैयमुद्दीन कांवड़ियों की सेवा में निस्वार्थ भाव से जुटे हैं। यामीन खान कहते हैं कि सेवा करने के लिए कावड़ियों के शिविर से अच्छा स्थान और कहां हो सकता है। शिवभक्त मीलों दूर से गंगाजल लेकर पैदल चलते हैं। उन्हें रास्ते में कई प्रकार की समस्याएं होती हैं। कावड़िये इलाज के बाद जब आशीष देते हैं तो दिल को बेहद सुकून देता है। वह 19 साल से कांवड़ियों की सेवा कर रहे हैं अब तो लोग पहचनाने भी लगे हैं। उन्हें इस काम में खुदा की इबादत जैसा सुकून मिलता है। सरकार की ओर से 2007 में प्रशंसा पत्र और 2008 में डॉ. भीमराव समिति की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिल चुका है। राजस्थान के गोविंदगढ़ जा रहे कांवड़िये हरिराम ने बताया कि 8 साल से कांवड़ लेकर निकलते हैं। हर साल यामीन खान को सेवा कार्य करते देखते हैं। अलवर के कांवड़िये सुरेश ने बताया कि कई तो नूंह के शिविर में केवल यामीन खान से इलाज कराने के लिए रुकते हैं।

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