जनता पर बोझ: नगर निगम ने हाउस टैक्स बढ़ाने का लिया निर्णय

जनता पर बोझ: नगर निगम ने हाउस टैक्स बढ़ाने का लिया निर्णय
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लखनऊ। जहां एक ओर जनता महंगाई की मार झेल रही है तो वहीं दूसरी ओर नगर निगम ने उनके उपर एक ओर बोझ डाल दिया है। नगर निगम ने हाउस टैक्स के मासिक किराया दर बढ़ाने का निर्णय लिया है। हाउस टैक्स नई दरें तय कर दी गई हैं और एक-दो दिन में इन्हें सार्वजनिक कर आपत्तियां मांगी जाएंगी। आपत्तियों पर सुनवाई और उनके निस्तारण के बाद इन्हें लागू कर दिया जाएगा। हाउस टैक्स की नई दरों को चालू वित्तीय वर्ष से या नए वित्तीय वर्ष से लागू किया जाएगा? इस पर निर्णय होना बाकी है। आवासीय संपत्तियों की हाउस टैक्स की वृद्धि का असर अनावासीय संपत्तियों पर भी पड़ेगा। इसका असर सड़क चैड़ाई के हिसाब से आरसीसी और आरबी वाले पक्के मकान, अन्य पक्का मकान, कच्चा भवन और खाली पड़े भूखंड पर होगा। नगर निगम ने वर्ष 2010 के बाद से अब तक इसमें वृद्धि नहीं की है।बता दें कि नगर निगम क्षेत्र में 5.59 लाख आवासीय भवन हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में नगर निगम की 234.16 करोड़ की आय हुई थी। अभी तीन अरब की देनदारी है। वहीं जलकर और सीवर कर से 169 करोड़ रुपये की वसूली होती है। मासिक किराये की दर को बारह से गुणा करना होगा। उसके बाद उस रकम का पंद्रह प्रतिशत हाउस टैक्स भरना होगा। वहीं मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक कुमार सिंह ने बताया कि हाउस टैक्स की मासिक किराया दर में वृद्धि का निर्णय लिया गया है। वर्ष 2010 के बाद यह वृद्धि की जा रही है। इससे नगर निगम की आय बढने से विकास के अधिक काम हो सकेंगे।

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