उत्तराखंड : नए एक्ट और पुरानी नियमावली से होंगे पंचायत चुनाव

हरिद्वार को छोड़ राज्य के बाकी जिलों में चार माह के भीतर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने के हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासन सक्रिय हो गया है। इस बार पंचायत चुनाव हाल में संशोधित राज्य के नए पंचायती राज एक्ट के हिसाब से होंगे। निर्वाचन के लिए उत्तर प्रदेश की पंचायती राज नियमावली से ही काम चलाया जाएगा। वजह ये कि राज्य का पंचायती राज एक्ट तो है, मगर निर्वाचन के लिए अभी नियमावली नहीं बनी है। शासन ने न्याय विभाग से परामर्श के बाद इस सिलसिले में राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र भी भेज दिया है। इसके साथ ही जिलाधिकारियों को एक अगस्त से पंचायतों में आरक्षण की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दे दिए गए हैं। उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद उत्तराखंड में उप्र के पंचायतीराज एक्ट व नियमावली के तहत ही पंचायत चुनाव संपन्न कराए जा रहे थे। लंबे इंतजार के बाद 2016 में राज्य का पंचायती राज एक्ट अस्तित्व में आया। हाल में एक्ट में संशोधन किया गया। इसमें यह प्रावधान किया गया कि दो से अधिक बच्चों वाले लोग पंचायत चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इसके साथ ही पंचायत प्रतिनिधियों के लिए शैक्षिक योग्यता का निर्धारण भी किया गया है। इस बीच पड़ताल हुई तो बात सामने आई कि राज्य ने अपना नया एक्ट तो तैयार कर लिया है, मगर चुनाव के लिए नियमावली नहीं बनाई है। साथ ही आरक्षण के फार्मूले के बारे में उल्लेख नहीं है। वहीं, हाईकोर्ट ने भी एक मामले में सरकार को चार माह के भीतर पंचायत चुनाव कराने के निर्देश दिए। ऐसे में नियमावली न होने से उत्पन्न संकट को देखते हुए पंचायतीराज निदेशालय के प्रस्ताव पर शासन ने नियमावली के बारे में न्याय विभाग से परामर्श मांगा। सचिव पंचायतीराज डॉ.रंजीत कुमार सिन्हा के अनुसार न्याय विभाग ने उप्र पंचायतीराज नियमावली से चुनाव कराने को हरी झंडी दे दी। इस बार पंचायत चुनाव राज्य के अपने नए एक्ट और उप्र की नियमावली के तहत कराए जाएंगे। यानी चुनाव लड़ने के लिए शर्तें नए पंचायतीराज एक्ट के अनुरूप होंगी। सिर्फ निर्वाचन के लिए उप्र की पंचायतीराज नियमावली का इस्तेमाल किया जाएगा। इसी नियमावली के अनुरूप त्रिस्तरीय पंचायतों में पदों के लिए आरक्षण भी तय किया जाएगा।