कश्मीर में बड़ा होने वाला है: जम्मू-कश्मीर को तीनों हिस्सों में बांटने की तैयारी…?

कश्मीर में बड़ा होने वाला है: जम्मू-कश्मीर को तीनों हिस्सों में बांटने की तैयारी…?
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नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर को लेकर इन दिनों देश भर की धड़कनें तेज हैं। विशेष रूप से कश्मीर घाटी के लोगों और नेताओं के माथे पर तनाव बढ़ गया है। पिछले कुछ समय से कश्मीर में बैचेनी है। यह बेचैनी घाटी तक सीमित नहीं है। इसके दायरे में दिल्ली का राजनीतिक गलियारा भी है। दिल्ली में कश्मीरी नेताओं और राष्ट्रीय नेताओं में उत्सुकता, बेचैनी बढ़ी हुई है। धड़कनें तेज हैं। इस बीच ऐसी ख़बर है कि जम्मू कश्मीर में पिछले 10 दिनों के अंदर जिस तरह से लगभग 40 हजार केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है उससे तरह-तरह के आंकलन लगाए जा रहे हैं। इस बीच हमारे सूत्रों के अनुसार इस बार सरकार कश्मीर पर काफी बड़ा फैसला करने वाली है। ख़बर यह भी है कि मोदी सरकार जम्मू –कश्मीर के नासूर को खत्म करने के लिए इसे तीन हिस्सों में बांट सकती है। पहला हिस्सा कश्मीर घाटी, दूसरा हिस्सा लद्दाख और तीसरा हिस्सा जम्मू। जिसमें जम्मू को अलग राज्य बनाए जाने कश्मीर घाटी और लद्दाख को केंद्र शासित राज्य बनाने जाने की सुगबुगाहट है। सूत्र कहते हैं यदि ऐसा हुआ तो धारा 370 और 35-A का नासूर अपने आप खत्म हो जाएगा। इस बीच शुक्रवार को सरकार ने एक मशविरा जारी करते हुए जम्मू-कश्मीर में आए हुए सारे पर्यटकों और अमरनाथ यात्रियों को तुरंत अपने घरों को लौटने के लिए कह दिया है। इस सलाह के बाद कश्मीर में लोगों में अफरा-तफरी का महौल है। हवाई अड्डे, बस अड्डों और रेलवे स्टेशन पर अफरा तफरी का महौल है। लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि कश्मीर में क्या होने वाला है। फिलहाल अमरनाथ यात्रा रोकने के फैसले के बाद से ‘लगता है, कुछ बड़ा होने वाला है कश्मीर में…’ वाली बाते पूरे जम्मू कश्मीर और हिंदुस्तान की फिजाओं में है। उसके बीच सवाल यह भी है कि कश्मीर में बाहरी ताकतों से खतरा है या फिर यह भीतर की चुनौतियों से ही निपटने की तैयारी है सरकार कर रही है। हम यह भी बता दें कि धारा 370 हटाना भाजपा के राजनीतिक अजेंडे में है। अगर सरकार इस पर निर्णायक फैसला लेती है, तो इसे संसद से भी मंजूरी लेनी होगी। तीन तलाक और आरटीआई कानून जैसे बिल पर राज्यसभा में विपक्ष को पटकनी देने के बाद भाजपा को लगता है कि वह इस मुद्दे पर अब आगे बढ़ सकती है। साथ ही राजनीतिक रूप से भी इसका विरोध करना अब आसान नहीं होगा। इसके अलावा परिसीमन आयोग को लेकर भी चर्चा गर्म है, जिसके बाद बीजेपी की मंशा है कि वहां आबादी के हिसाब से नए सिरे से विधानसभा सीटें तय हो। इससे जम्मू की सीटें अधिक हो जाएगी और वहां हिंदू सीएम बनाने का रास्ता साफ हो सकता है। इसके अलावां धारा 35 ए पर मोदी सरकार को लगता है कि यह सबसे मुफीद वक्त है जब वह कड़ा स्टैंड दिखा सकती है। अगले हफ्ते एक याचिका पर सुनवाई हो सकती है, जिसमें इस धारा की वैधता पर सवाल उठाए गए हैं। सरकार सर्वोच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखते हुए कह सकती है कि उसे इस धारा को हटाने से आपत्ति नहीं है।

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