सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद, विधेयक, 2019 ध्वनिमत से पारित

राज्य विधानसभा ने शुक्रवार को सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद(विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन) (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2019 ध्वनिमत से पारित कर दिया।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने सदन में यह संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया। उन्होंने विधेयक के कारणों एवं उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए कहा कि राज्य के नगरीय और उप-नगरीय क्षेत्रों में हुक्का बारों में हुक्के से धूम्रपान का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। इससे न केवल युवा पीढ़ी बल्कि वयस्कों में भी गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा हो गया है। इसके साथ ही उन्होंने युवाओं में ई-सिगरेट के बढ़ते प्रचलन और इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में भी सदन को बताया। उन्होंने कहा कि ई-सिगरेट के सेवन के दुष्प्रभावों को जानने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम गठित की जिसके अध्ययन में पता चला कि ई-सिगरेट से अल्ट्राफाइन पार्टिकल्स एवं अन्य विषैले पदार्थ अपने अन्दर लेता है और इन पदार्थो से ह्रदयघात व फेंफड़ों के रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। ई-सिगरेट के उपयोग से निकोटिन के अतिरिक्त कैंसरकारी फार्मल्डिहाइडस उत्पन्न होते है। उक्त दुष्प्रभावों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने 30 मई, 2019 से ई-सिगरेट के सेवन पर प्रतिबन्ध लगाया है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2018 की फैक्टशीट के अनुसार तम्बाकू उत्पादोें के उपयोग से विश्वभर में प्रतिवर्ष लगभग 80 लाख तथा हमारे देश में प्रतिवर्ष लगभग 10 लाख लोगों की मृत्यु होती है। इस अनुमान के अनुसार राजस्थान में लगभग 50 हजार से अधिक लोगों की मृत्यु तम्बाकू पदार्थो के सेवन से होती है। तम्बाकू के कारण होने वाले रोगों में कार्डियोवैरस्कुलर डिजीज, कैंसर, श्वसन रोग, स्ट्रोक आदि प्रमुख है। उन्होंने बताया कि जन घोषणा पत्र में की गई घोषणा को पूरा करने के लिए राज्य में हुक्का बार संचालन एवं ई-सिगरेट पर पूर्ण प्रतिबंध की कार्यवाही हेतु यह विधेयक प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में हुक्का बार संचालन पर चिकित्सा विभाग तथा पुलिस विभाग द्वारा केन्द्रीय सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पादन अधिनियम, 2003 के तहत तथा आईपीसी के सम्बंधित प्रावधानों के अंतर्गत कार्यवाही की जाती है। इससे पहले सदन ने विधयेक को जनमत जानने हेतु परिचालित करने के संशोधन प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।