कोरोना वायरस रोकथाम एवं उपचार के आदेशों का पालन नहीं किया तो….!

जम्मू
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कोरोना वायरस संक्रमण को महामारी घोषित करते हुए कहा है कि जो व्यक्ति इस रोग के रोकथाम एवं उपचार से जुड़े आदेशों का पालन नहीं करेगा उससे कानून के तहत निपटा जाएगा। उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मु के आदेश पर वित्तीय आयुक्त द्वारा जारी चार पन्नों की अधिसूचना में यह घोषणा की गयी है। इस केंद्र-शासित प्रदेश में अबतक तीन व्यक्तिों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है ।
इस बीमारी का मुकाबला करने के लिए इस केंद्र-शासित प्रदेश के लगभग सभी जिलों में सरकार द्वारा चार से अधिक व्यक्तियों के इकट्ठा होने पर रोक लगाते हुए निषेधाज्ञा लागू करने के साथ सामान्य जनजीवन करीब करीब ठहर गया है। सरकार पहले ही सभी शिक्षण संस्थानों, मल्टीप्लेक्सों, सिनेमाघरों, शॉपिंग मॉलों, फुड कोर्टों, पार्कों और गार्डनों, क्लबों एवं सड़क किनारे खाने -पीने की चीजें बेचने वालों पर 31 मार्च तक के लिए रोक लगा चुकी है।
महामारी रोग अधिनियम के तहत नियमों की घोषणा करते हुए अधिसूचना में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर महामारी रोग (कोरोना वायरस) विनियमाली, 2020 इस पूरे केंद्रशासित प्रदेश में तत्काल प्रभावी होगी। अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘ निगरानी कर्मी यदि उपयुक्त समझते हैं तो उन्हें ज्वर, खांसी या सांस संबंधी घटनाओं निगरानी या भौतिक परीक्षण के लिए ऐसे परिसरों के मालिकों को तर्कसंगत मौका देने के बाद वहां प्रवेश करने का अधिकार होगा।’’
अधिसूचना में कहा गया, ”ऐसे सभी व्यक्ति निगरानी, निरीक्षण, पूछताछ और परीक्षण में सहयोग करने और सभी संभव सहायता करने के लिए बाध्य होंगे।” अधिसूचना के अनुसार जिलाधिकारी इन निगरानी कर्मियों को नियुक्त करेंगे जिन्हें संदिग्ध व्यक्तियों को घर के अंदर ही पृथक रूप से रखने या उसे पृथक सुविधा में ले जाने का निर्देश देने, व्यवस्था करने का अधिकार होगा। अधिसूचना में कहा गया है कि लेकिन यदि किसी परिसर के मालिक या कोविड -19 का संदिग्ध या सत्यापित व्यक्ति घर में अलग से रखने, संस्थाना में अलग से रखने जेसे रोकथाम या उपचार के कदमों से इनकार करता है या फिर निगरानी कर्मियों एवं अधिकारियों से सहयोग नहीं करता है तो उस पर सीआरपीसी, 1973 की धारा 133 के प्रावधान लगेंगे। जरूरी समझने पर मजिस्ट्रेट किसी बाध्यकारी कार्रवाई का आदेश जारी कर सकते हैं।