लू-तापघात प्राकृतिक आपदा नहीं होने से सहायता राशि देय नहीं

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बुधवार को विधानसभा में बताया कि लू-तापघात प्राकृतिक आपदा में शामिल नहीं होने के कारण सहायता राशि देय नहीं है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में लू और तापघात से कोई भी जनहानि नहीं हो, इसकी पुख्ता व्यवस्था विभाग द्वारा की जाती है। डॉ. शर्मा प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों द्वारा पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि गत 15 मार्च से 14 जुलाई के मध्य कुल 161 लोग बीमार हुए, इनमें से 3 की मृत्यु हो गई, जिनमें 2 व्यक्ति बारां जिले एवं एक व्यक्ति जालौर जिले का शामिल है। जालोर में जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई वह मूलतः बाड़मेर जिले का निवासी था। उन्होंने बताया कि तापघात बढ़ते ही एडवाइजरी जारी की जाती है। उसी के अनुसार संस्थानों में प्रोक्योरमेंट तय होता है और हर साल विभाग द्वारा व्यवस्था की जाती है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि मौसम विभाग के अनुसार एक जगह का वास्तविक तापमान और सामान्य तापमान के बीच जो अंतर होता है, उसे हीटवेव कहते हैं। मैदानी इलाकों में तापमान कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस तक और पहाड़ी क्षेत्रों में कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो लू चलती है। यदि तापमान में वृद्धि 5 से 6 डिग्री सेल्सियस है तो हीटवेव (लू) कहलाती है। यदि तापमान में वृद्धि 7 डिग्री या अधिक गम्भीर लू कहलाती है। उन्होंने बताया कि गर्मी के प्रकोप से लू में कोई भी चपेट में सकता है। बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं धूप में व दोपहर में कार्यरत श्रमिक, यात्री, खिलाड़ी व ठंडी जलवायु में रहने वाले व्यक्ति अधिक ज्यादा प्रभावित होते हैं। इस दौरान चिकित्सा मंत्री ने विस्तार से लू लगने के लक्षण भी बताए। इससे पहले विधायक श्री राजेंद्र सिंह राठौड़ के मूल प्रश्न के जवाब में उन्होंने जिलों में रेड अलर्ट घोषित किए जाने के पश्चात एहतियात के तौर पर की गई व्यवस्थाओं का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन नई दिल्ली द्वारा भिजवाई गई एडवाजरी एवं हीट वेव की गाइड लाइन के अनुसार सभी चिकित्सा संस्थानों को दिशा निर्देश दिए गए। सभी चिकित्सा संस्थानों में रोगी के उपचार के लिए आपातकालीन किट में ओआरएस, ड्रिपसेट, आईवीफ्लूड (जीएनएस, जीडी डब्ल्यू, रिंगर लेक्टेट) एवं आवश्यक दवाइयों की व्यवस्था की गई। चिकित्सा मंत्री ने बताया कि जन साधारण से लू-तापघात से प्रभावित होने पर बचाव के उपायों की जानकारी प्रचार-प्रसार, ऑडियो-वीडियो आदि के द्वारा दी गई। चिकित्सा संस्थानों में कूलर, पंखे व पेयजल व्यवस्था पूर्व से ही विद्यमान है। निदेशालय स्तर पर हुई वीडियो कान्फ्रेंसिंग में भी लू-तापघात के बारे में चर्चा की गई। उन्होंने इसका विवरण सदन की पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि भारत सरकार की अधिसूचित प्राकृतिक आपदाओं के घटित होने पर एसडीआरएफ नॉम्र्स के अनुसार सहायता देय है। उन्होंने इसका विवरण भी सदन की मेज पर रखा।