नहरों को पक्का करने का काम जारी, चुनौतियों के बावजूद हर वर्ष टेल एण्ड तक पहुंचता है पानी

नहरों को पक्का करने का काम जारी, चुनौतियों के बावजूद हर वर्ष टेल एण्ड तक पहुंचता है पानी
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सिंचित क्षेत्र विकास मंत्री श्री हरीश चौधरी ने कहा है कि चम्बल सिंचित क्षेत्र की कच्ची नहरों को पक्का करने के काम में सबसे बड़ी चुनौती यह है वहां की मिट्टी की गुणवत्ता, बारिश एवं फसलों के कारण वर्ष में केवल तीन से चार माह ही काम हो पाता हैं। इसके अलावा न्यायालय के आदेश से पिछले दिनों बजरी पर रोक के कारण भी काम अपेक्षित गति से नहीं हो सका है। लेकिन इस बावजूद हर वर्ष टेल एण्ड तक पानी पहुंंचाया जाता है। श्री चौधरी सोमवार को राज्य विधानसभा में विधायकों के इस सम्बन्ध में पूछे गए पूरक प्रश्न का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के समय बनी नई योजना की डीपीआर स्वीकृत नहीं हुई थी क्योंकि पूर्व स्वीकृत योजना ही अभी पूर्ण नहीं हो सकी है। उन्होंने कहा कि अगर चम्बल की नहरों की योजना में स्वीकृत मद से अलग मद में राशि खर्च की गई तो इसकी जांच कराई जाएगी एवं दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि नहर के रखरखाव के लिए मानव संसाधन की कमी का परीक्षण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पहले सीएडी में कच्ची नहरों के सम्बन्ध में सीएडीडब्ल्यूएम योजना थी जिसे केन्द्र सरकार द्वारा 1 अप्रेल  2017 से बंद कर दिया गया। अब किसी नई योजना में इस कार्य के लिए कोई राशि नहीं मिली है। इससे पहले विधायक श्रीमती चंद्रकांता मेघवाल के मूल प्रश्न के जवाब में श्री चौधरी ने बताया कि चम्बल दांयी व बांयी मुख्य नहर से निकलने वाले माइनरों से पानी सीपेज होने के उपरान्त भी हर वर्ष टेल क्षेत्र तक पानी पहुंचाया जाता है। उन्होंने बताया कि चम्बल सिंचित क्षेत्र की नहरें ज्यादातर कच्ची हैं। कच्ची नहरों में सीपेज पानी की मात्रा 2.50 क्यूमेक्स प्रति दस लाख वर्ग मीटर एवं पक्की नहरों में सीपेज पानी की मात्रा 0.80 क्यूमेक्स प्रति दस लाख वर्ग मीटर होती है। कच्ची नहरों को पक्की करने से 1.70 क्यूमेक्स प्रति दस लाख वर्ग मीटर की बचत सम्भव है। सीपेज रोककर चम्बल सिंचित क्षेत्र में कोटा, बून्दी व बारां जिले के लगभग 2.29 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अन्तिम छोर तक के किसानों को सिंचाई हेतु पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने के लिए सिंचाई तंत्र के जीर्णोद्धार के कार्य करवाकर समयबद्ध तरीके से पानी पहुंचाने के लिए 1274 करोड़ रूपए की राशि मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2012-13 में 26 मार्च 2012 को दिये गये बजट भाषण के बिन्दु संख्या-33 से घोषणा की गई।उन्होंने बताया कि यह कार्य प्रगतिरत है तथा कार्य सम्पादन से समांतर रूप से सीपेज मंह कमी आई है। बजट घोषणा 2012-13 के अन्तर्गत चम्बल नहरी तंत्र के जीर्णोद्धार हेतु 1274 करोड़ रूपए की योजना के अन्तर्गत वर्ष 2012-13 से 2014-15 तक तीन चरणों में 852 करोड़ रूपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की गई। उन्होेंने इसका विवरण सदन के पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि उक्त प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृतियों के आधार पर दाईं मुख्य नहर की वितरण प्रणाली के 10 कार्यों हेतु 463.88 करोड़ रूपए के कार्यादेश जारी किये गये जिसके विरूद्ध जून 2019 तक 131.32 करोड रूपए व्यय किये जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि बाईं मुख्य नहर प्रणाली के 5 कार्यों के लिए 243.58 करोड रूपए के कार्यादेश जारी किये गये जिसके विरूद्ध जून 2019 तक 88.56 करोड़ रूपये व्यय किये जा चुके हैं। इस प्रकार कुल कार्यादेश 707.46 करोड़ रूपये के विरूद्ध जून 2019 तक 219.88 करोड रूपये व्यय किये जा चुके हैं तथा 224 किमी. नहरों को पक्का किया जा चुका है। वर्तमान में चम्बल सिंचित क्षेत्र परियोजना के टेल क्षेत्र में कृषि सिंचाई हेतु पानी को लिफ्ट के माध्यम से पहुंचाने की कोई योजना प्रस्तावित नहीं है।
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