जैतारण वन क्षेत्र में अरावली पहाड़ियों में खनन नहीं – खान मंत्री

खान मंत्री श्री प्रमोद भाया ने कहा है कि जैतारण में वन क्षेत्र में पड़ने वाली अरावली की पहाड़ियों में इस समय कोई खनन नहीं किया जा रहा है। विधानसभा क्षेत्र जैतारण में वर्ष 2002 के बाद 128 खनन पट्टे जारी किए गए हैं। इनमें उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देश के बाद से 100 मीटर से कम उंचाई की पहाड़ियों में ही पट्टे जारी किए गए हैं। श्री भाया मंगलवार को राज्य विधानसभा में इस सम्बन्ध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि अरावली क्षेत्र में खनन का प्रश्न महत्वपूर्ण है क्योंकि राजस्थान के कई जिले अरावली क्षेत्र में आते हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 1995 में उच्चतम न्यायालय में अरावली क्षेत्र में खनन को लेकर एक याचिका लगी जिसमेें राजस्थान एवं हरियाणा स्थित अरावली की सम्पूर्ण हिल रेंज में खनन कार्य को प्रतिबंधित करने का निर्णय उच्चतम न्यायालय द्वारा 30 अक्टूबर 2002 को लिया गया। खान मंत्री ने कहा कि 2002 के निर्णय में अरावली रेंज शब्दों का उपयोग किया गया था एवं 2005 के निर्णय में अरावली हिल्स शब्दों का उपयोग किया गया है। उन्होंने बताया कि इस सम्बन्ध में ‘हिल’ की परिभाषा ‘रिचर्ड मर्फी’ द्वारा दिए वर्गीकरण के आधार पर की गई है जिसके अनुसार स्थानीय लेवल से 100 मीटर से अधिक ऊंची पहाडियों को हिल माना गया। उन्होंने बताया कि भारत सरकार एवं पर्यावरण विभाग आदि से जानकारी लेकर 9 जनवरी 2006 को एक आदेश जारी किया गया जिसके अनुसार जमीनी लेवल से 100 मीटर से अधिक उंचाई की पहाड़ियों को हिल माना गया। इसके नीचे की ऊंचाई वाली पहाड़ियों के खनन पट्टे जारी किए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि 16 दिसम्बर 2002 से पहले उच्चतम न्यायालय के अनुसार 100 मीटर से अधिक ऊंचाई पर भी खनन किया जा सकता था। अब 100 मीटर से ऊंची पहाड़ियों पर खान स्वीकृति पर रोक लगाई गई है। उन्होंने बताया कि गत पांच वर्षों में जैतारण विधानसभा क्षेत्र में अवैध खनन के मामले बजरी, चुनाई पत्थर, क्वार्ट्ज-फैल्सपार एवं लाइम स्टोन के खनन से सम्बन्धित थे। उन्होंने बताया कि जैतारण की वन विभाग के अधीन की पहाड़ियों में वन मंत्रालय से अनुमति लेकर खनन किया जा सकता है। इससे पूर्व विधायक श्री अविनाश के मूल प्रश्न के जवाब में खान मंत्री ने बताया कि विधानसभा क्षेत्र जैतारण में स्थित पहाड़ियां अरावली पर्वत श्रृंखला में आती हैं जो ग्राम पंचायत बाबरा, रास, टुकड़ा, राबड़ियावास, बलाड़ा, झाला की चौकी, बर, बल्लूपुरा, कानूजा, कलालिया, बिराटिया, बिराटिया खुर्द, चिताड़, पचानपुरा, प्रतापगढ़, रायपुर, सुमेल, चांग में स्थित हैं। खान मंत्री ने बताया कि जैतारण विधानसभा क्षेत्र में 128 खनन पट्टे प्रभावशील हैं तथा 20 क्रेशर संचालित हैं। इन खनन पट्टों में खनन कार्य अरावली हिल्स के संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा याचिका संख्या 202/1995 में पारित आदेश 8 अप्रेल 2005 व निदेशालय, खान एवं भू-विज्ञान विभाग के निर्देश/गाइडलान 9 जनवरी 2006 की पालना करते हुए एवं भारत सरकार के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना 14 सितम्बर 2006 के तहत पर्यावरण अनुमति प्राप्त करने के पश्चात् हो रहा है। उन्होंने बताया कि क्रेशर भी राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल से आवश्यक सम्मति प्राप्त कर संचालित हो रहे हैं। उन्होंने उच्चतम न्यायालय के आदेश की प्रति, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना (संशोधन सहित) एवं निदेशालय, खान एवं भू-विज्ञान विभाग के निर्देश/गॉडलाइन 9 जनवरी, 2006 की प्रति सदन के पटल पर रखी। खान मंत्री ने बताया कि सरकार द्वारा जैतारण विधानसभा क्षेत्र में अवैध खनन की रोकथाम हेतु कार्यवाही की जा रही है। पाली जिले में खान, पुलिस, राजस्व एवं परिवहन विभाग के अधिकारी/कर्मचारियों को सम्मिलित करते हुये विशेष जांच दल का गठन किया गया है। इस दल के द्वारा नियमित एवं आकस्मिक रूप से कार्यवाही की जाती है। गत पांच वर्षों में जैतारण विधानसभा क्षेत्र में अवैध खनन/निर्गमन/भण्डारण के कुल 454 प्रकरण बनाकर 2.37 करोड़ रूपये शास्ति की वसूली कर 10 प्रकरणों में एफ.आई.आर. दर्ज करवाई गई एवं 2 प्रकरणों में न्यायालय में इस्तगासे दायर किये गये।