सरकार बाघों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है – वन राज्य मंत्री

सरकार बाघों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है – वन राज्य मंत्री
Spread the love
वन राज्य मंत्री श्री सुखराम विश्नोई ने शुक्रवार को विधानसभा में आश्वस्त किया कि सरकार बाघों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है और जैसे-जैसे धन की उपलब्धता होगी वैसे-वैसे नेशनल पार्क मुकन्दरा हिल्स की तरह सभी जगह फैन्सी दीवार बनाई जाएगी। श्री विश्नोई प्रश्नकाल में विधायकों की ओर से पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 के बाद सरिस्का वन्यजीव अभ्यारण में 6 बाघों की मौत हुई जिनमे तीन की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई, जबकि एक बाघ की 21 फरवरी 2018 को शिकार करने में, एक की किसी के द्वारा जहर देने में तथा एक की तारों में फंसने से हुई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सरिस्का में बाघों की सुरक्षा के लिए चौकीदार लगे हुए है तथा उनके बाद कोई घटना नहीं हुई। वर्तमान में बाघ और जंगल दोनों सुरक्षित है। उन्होंने बताया कि जिन बाघों की मौत हुई उनमे एसटी वन की 14 नवम्बर 2018 को, एसीटी ग्यारह की 19 मार्च 2018 को एवं एसटी 5 की मौत 25 फरवरी 2018 को हुई है। उन्होंने बताया कि एस.टी-5 की मौत में दोषी मातादीन शर्मा, धर्मपाल व वेलजी गुर्जर के खिलाफ कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। उन्होंने कहा कि शेष प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। इससे पहले विधायक श्री खुशवीर सिंह के मूल प्रश्न के जवाब में वन राज्य मंत्री ने बताया कि सरिस्का वन्यजीव अभ्यारण्य में वर्ष 2008-09 में बाघों के पुनर्वास से पूर्व बाघों के विलुप्त होने के कारणों एवं आगे के पुनर्वास के संबंध में वर्ष 2005 में राज्य सरकार द्वारा श्री वी.पी.सिंह (तात्कालीन सांसद लोकसभा) की अध्यक्षता में स्टेट एम्पावर्ड कमेटी बनायी गई थी। कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार बाघों के पुनर्वास से पूर्व बाघों के विलुप्त होने के प्रमुख कारण वन एवं वन्य जीव अधिनियम के प्रावधानों का प्रभावी रूप से लागू/ पालना नहीं होने से बाघों को आवश्यक सुरक्षा नहीं मिल पाना, स्थानीय ग्रामीणों द्वारा विभाग का विरोध करने के कारण गुप्त सूचना न मिल पाना, स्थानीय ग्रामीणों द्वारा अपने मवेशियों की बाघों से सुरक्षा के लालच में शिकारियों का सहयोग करना एवं बाघ गणना हेतु पुरानी अवैज्ञानिक एवं अप्रमाणिक पद्धति का उपयोग होने के कारण बाघों की संख्या में कमी का पता न चलना ऎसे कारण है जिससे समय रहते कार्यवाही नहीं हो सकी है। वन राज्य मंत्री ने राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2005 में श्री वी.पी.सिंह (तात्कालीन सांसद लोकसभा) की अध्यक्षता में  सरिस्का से बाघों की विलुप्त के कारणों एवं आगे पुनर्वास के संबंध में स्टेट एम्पावर्ड कमेटी की रिपोर्ट की प्रति सदन के पटल पर रखी।  श्री विश्नोई ने बताया कि रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान से वर्ष 2008 में प्रथम बाघ एसटी वन सरिस्का बाघ परियोजना अंतर्गत पुनर्वास किया गया। उन्होंने सरिस्का वन्यजीव अभ्यारण्य में वर्ष 2008 से वर्ष 2019 तक वर्षवार बाघों की संख्या विवरण सदन के मेज पर रखा।
उन्होंने रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान से 28 जून, 2008 को प्रथम बाघ एसटी वन पुनर्वास किये जाने के बाद सरिस्का बाघ परियोजना में बाघों की मौत के कारणों की जांच रिपोर्ट संबंधित विवरण सदन के पटल पर रखी। वन राज्य मंत्री ने सरिस्का बाघ परियोजना में बाघों की मृत्यु के सबंध में विभागीय जांच में लापरवाही के लिए दोषी अधिकारी व कर्मचारी एवं उनके विरुद्ध की गई कार्यवाही का विवरण सदन के पटल रखा।  उन्होंने वर्तमान में प्रदेश में बाघों की संख्या का अभ्यारण्यवार विवरण सदन के पटल पर रखा।
Admin

Admin

9909969099
Right Click Disabled!