नियमित डिग्री के साथ रोजगार से जोड़ने के लिए कौशल शिक्षा के पाठ्यक्रम की सम्बद्धता प्राप्त करने वाली महिला आश्रम भीलवाड़ा का कन्या महाविद्यालय प्रथम शिक्षण संस्थान

राजस्थान राज्य आई.एल.डी. कौशल विश्वविद्यालय ने कौशल शिक्षा के क्षेत्र में अभिनव पहल करते हुए भीलवाड़ा की महिला आश्रम द्वारा संचालित श्रीमती सुशीला देवी माथुर कन्या महाविद्यालय को कॉनकरन्ट स्किल कोर्सेस (समवर्ती कौशल पाठ्यक्रम) के लिए गुरूवार को सम्बद्धता प्रदान की है। यह महाविद्यालय राज्य का प्रथम शिक्षण संस्थान है जिसे ऎसे 5 डिप्लोमा पाठ्यक्रम के लिए सम्बद्धता दी गई है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ललित के. पंवार ने विश्वविद्यालय की ओर से आज सम्बद्धता पत्र महिला आश्रम के निदेशक श्री वी.पी. माथुर को प्रदान किया। कुलपति डॉ. पंवार ने बताया कि राजस्थान आई.एल.डी. कौशल विश्वविद्यालय कौशल के क्षेत्र में देश का प्रथम विश्वविद्यालय है जिसने राज्य के विभिन्न राजकीय विश्वविद्यालयों से सम्बद्ध महाविद्यालयों में परम्परागत डिग्री बी.ए., बी.एससी., बी.कॉम., बी.सी.ए., बी.बी.ए., बी.टेक. आदि पारम्परिक डिग्री कोर्सेस में अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों के जीवन में बदलाव लाने और उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए कॉनकरन्ट स्किल कोर्सेस प्रारम्भ करने का निर्णय लिया। विश्वविद्यालय की हाल ही में सम्पन्न एकेडमिक कौंसिल ने इन पाठ्यक्रमों को मंजूरी देते हुए इसी सत्र 2019-20 से इन्हें लागू करने का भी निर्णय लिया। डॉ. पंवार ने बताया कि कॉनकरन्ट कोर्स दो क्रेडिट से लेकर 72 क्रेडिट तक के हैं। एक क्रेडिट का अर्थ 30 घंटे कौशल शिक्षा प्राप्त करना है। यदि विद्यार्थी न्यूनतम दो क्रेडिट (60 घंटे) कौशल शिक्षा आधारित पाठ्यक्रम का अध्ययन व प्रैक्टिकल करता है तो उस विद्यार्थी को ‘‘टू क्रेडिट सर्टिफिकेट‘‘ दिया जा सकता है। यदि विद्यार्थी 18 माह में 36 क्रेडिट कौशल शिक्षा जो ‘‘नेशनल स्किल क्वालीफिकेशन फ्रेमवर्क‘‘ के 5 लेवल के बराबर है को ‘‘डिप्लोमा कॉनकरन्ट‘‘ तथा यदि विद्यार्थी 36 माह (तीन वर्ष) में 72 घंटे कौशल आधारित शिक्षा के पाठ्यक्रम को पूरा करता है तो उसे ‘‘एडवांस डिप्लोमा कॉनकरन्ट‘‘ दिया जायेगा जो नियमित डिग्री के अतिरिक्त होगा। ये सर्टिफिकेट, एडवांस डिप्लोमा व डिप्लोमा विद्यार्थी को रोजगार से जोड़ने में कारगर साबित होंगे। ‘‘समवर्ती कौशल पाठ्यक्रमों‘‘ को राजस्थान राज्य आई.एल.डी. कौशल विश्वविद्यालय के विनियमों की मंजूरी के पश्चात स्नातक डिग्री की शिक्षा प्राप्त कर रहा कोई भी विद्यार्थी कौशल आधारित सर्टिफिकेट, डिप्लोमा व एडवांस डिप्लोमा कर सकता है। इसके लिए यह विश्वविद्यालय विद्यार्थी का अलग से कॉनकरन्ट एनरोलमेंट करेगा जिसके लिए माइग्रेशन सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं होगी। महिला आश्रम भीलवाड़ा द्वारा संचालित ‘‘श्रीमती सुशीला देवी माथुर स्नातकोत्तर महाविद्यालय‘‘ को ‘‘डिप्लोमा इन वेब एण्ड मल्टीमीडिया डिजाइन‘‘, ‘‘डिप्लोमा इन फैशन डिजाइन‘‘, ‘‘डिप्लोमा इन इंटीरियर डिजाइन‘‘, ‘‘डिप्लोमा इन कम्प्यूटराज्इड़ फाइनेंशियल अकाउंटिंग स्किल‘‘, व ‘‘डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एण्ड मॉस कम्यूनिकेशन‘‘ के लिए सम्बद्धता प्रदान की गई है। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. कीर्ति सिंह के अनुसार महाविद्यालय की अनेक छात्रायें इन पाठ्यक्रमों से जुड़कर रोजगार के क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाना चाहती है। उल्लेखनीय है कि महिला आश्रम की स्थापना 14 सितम्बर, 1944 को हुई और महिला आश्रम द्वारा ही संचालित इस महाविद्यालय की स्थापना वर्ष 2003 में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवचरण माथुर की पत्नी एवं प्रमुख स्वंतन्त्रता सेनानी श्री माणिक्य लाल वर्मा की सुपुत्री श्रीमती सुशीला देवी माथुर के नाम से हुई है। इस महाविद्यालय में अभी लगभग 600 छात्रायें स्नात्तक व स्नानकोत्तर कक्षाओं में अध्ययनरत है यहाँ सभी संकाय उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त बी.पीएड़. कॉलेज में भी 200 छात्रायें अध्ययनरत है। महिला आश्रम का सम्पूर्ण देखरेख वर्तमान में स्व. श्री शिवचरण माथुर की सुपुत्री डॉ. वंदना माथुर सचिव के रूप में कर रही है।