खातेदारी रिकॉर्ड में दर्ज जाति में परिवर्तन का कोई विचार नहीं – सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री

खातेदारी रिकॉर्ड में दर्ज जाति में परिवर्तन का कोई विचार नहीं – सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री
Spread the love
 सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल ने सोमवार को राज्य विधानसभा में स्पष्ट किया कि खातेदारी अधिनियम की धारा 1952 के तहत सम्वत् 2002 में 2012 में जिस जाति के नाम खातेदारी में दर्ज है उसमें कोई बदलाव नहीं होगा। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री प्रश्नकाल में इस सम्बन्ध में विधायकों की ओर से पूछे गये पूरक  प्रश्नों के जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि वर्ष 1932 के बाद 6 सितम्बर, 1950 को भारत सरकार के गजट अधिसूचनाओं में भील जाति को सम्पूर्ण राज्य के लिए अनुसुचित जाति में शामिल किया गया, लेकिन उसके बाद 29 अक्टूबर, 1956 को पुनः संशोधन करते हुए भील /भील मीणा एवं मीणा को अजमेर, जिला सिरोही के आबूरोड़ एवं झालावाड़ जिले के कुछ क्षेत्र को छोडकर सम्पूर्ण राज्य के लिए अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि इसके बाद जारी तीन अलग-अलग अधिसूचनाओं द्वारा भील /भील मीणा और मीणा जाति को सम्पूर्ण राज्य के लिए अनुसूचित जनजाति में माना गया। उन्होंने बताया कि इस सम्बन्ध हुए संशोधनों के बाद अब भील को मीणा जाति में अथवा मीणा जाति को भील जाति में बदलने का राज्य सरकार के स्तर पर कोई प्रकरण विचाराधीन नहीं है और यदि ऎसा कोई प्रकरण आता है तो उसको भारत सरकार को भेजा जायेगा तथा भारत सरकार के निर्देशानुसार कार्यवाही की जा सकेगी। मास्टर मेघवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि वर्ष 1932 के बाद सम्वत 2002 एवं सम्वत 2012 में काश्तकार के खातेदारी रिकॉर्ड एवं गिरदावरी के आधार पर जिस खेत पर जिस जाति का व्यक्ति बैठा था उसकी खातेदारी उसके नाम ही दर्ज की गई। उन्होंने बताया कि इसमें परिवर्तन के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई आदेश जारी नही हुआ। इसमें पहले उन्होंने विधायक श्री रामप्रसाद के पूरक प्रश्न के जवाब में स्पष्ट किया कि प्रदेश के अनुसूचित क्षेत्र दक्षिण में रहने वाले भील सम्प्रदाय भील जनजाति को मीणा नहीं बनया जा रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार के पास इस तरह के कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है क्याेंकि भील एवं मीणा अलग-अलग जातियां है।
Admin

Admin

9909969099
Right Click Disabled!