सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित नहीं करने पर साढ़े 15 हजार बीघा भूमि का आवंटन निरस्त

सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित नहीं करने पर साढ़े 15 हजार बीघा भूमि का आवंटन निरस्त
Spread the love
ऊर्जा मंत्री श्री बुलाकीदास कल्ला ने गुरूवार ने राज्य विधानसभा में बताया कि राज्य में पवन ऊर्जा व सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए आवंटित जमीन में संबंधित कम्पनी द्वारा सौर ऊर्जा के संयंत्र स्थापित नहीं करने पर 15 हजार 549 बीघा का आवंटन निरस्त कर दिया गया है। श्री कल्ला प्रश्नकाल में विधायकों की ओर से पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि राज्य में पवन ऊर्जा के संयंत्र स्थापित करने के लिए जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर एवं चितौडगढ़ जिलों को चिन्हित किया गया। उन्होंने बताया कि इन प्लान्ट के लिए जो भूमि चयनित की गई उसमे बिलानाम, मगरा, गैर मुमकिन पहाड़ इस तरह की भूमि है। इसी तरह सौर ऊर्जा के लिए जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, प्रतापगढ़, चितौडगढ़ नागौर, जयपुर, सिरोही एवं भीलवाड़ा जिले चयनित किये गये। इससे पहले उन्होंने विधायक श्री धर्मेन्द्र कुमार के मूल प्रश्न के जवाब में राजस्थान में सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित किये जाने हेतु राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम में पंजीकृत कम्पनियों को आवंटित भूमि का विवरण सदन के पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने हेतु भूमि का आवंटन राजस्थान भू-राजस्व (अक्षय ऊर्जा स्त्रोतों पर आधारित ऊर्जा उत्पादन इकाई की स्थापना हेतु भूमि आवंटन) नियम-2007 के तहत किया गया था। उन्होंने उक्त नियमों की प्रति सदन की मेज पर रखी। ऊर्जा मंत्री ने बताया कि पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित किये जाने हेतु राजकीय भूमि जिन नियमों के अनुसार आवंटित की गई हैः- उनमें राजस्थान भू-राजस्व (औद्योगिक क्षेत्र आवंटन) नियम-1959, राजस्थान भू-राजस्व (पवन फार्म स्थापित करने के लिए भूमि आवंटन) नियम-2006 एवं राजस्थान भू-राजस्व (अक्षय ऊर्जा स्रोतों पर आधारित ऊर्जा उत्पादन इकाई की स्थापना हेतु भूमि आवंटन) नियम-2007 शामिल है। उन्होंने उपरोक्त नियमों की प्रति सदन के पटल पर रखी। श्री कल्ला ने बताया कि राजस्थान भू-राजस्व (अक्षय ऊर्जा स्त्रोतों पर आधारित ऊर्जा उत्पादन इकाई की स्थापना हेतु भूमि आवंटन) नियम-2007 के नियम 7 (1) के अनुसार आवंटन के दो वर्ष की अवधि में संयंत्र स्थापित किये जाने की शर्त थी। उक्त उप नियम के परंतुक में राजस्थान राज्य अक्षय ऊर्जा निगम की अभिशंषा पर राज्य सरकार की अधिसूचना 22 फरवरी, 2017 के द्वारा उक्त अवधि 2 वर्ष से बढ़ाकर 3 वर्ष कर दी गई। उन्होंने नियत अवधि में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित नहीं करने वाली कम्पनियों एवं उनके विरूद्ध की गई कार्यवाही का विवरण सदन के पटल पर रखा।  उन्होंने नियत अवधि में पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित नहीं करने वाली कम्पनियों एवं उनके विरुद्ध की गई कार्यवाही का विवरण सदन के पटल पर रखा। उन्होंने सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा संयंत्र हेतु आवंटित भूमि के प्रकार का विवरण भी सदन की मेज पर रखा। ऊर्जा मंत्री ने बताया कि राजस्व (ग्रुप-6) विभाग की अधिसूचना 18 जून, 2007 के द्वारा राजस्थान भू-राजस्व (अक्षय ऊर्जा स्त्रोतों पर आधारित ऊर्जा उत्पादन इकाई की स्थापना हेतु भूमि आवंटन) नियम-2007 जारी किये गये। इस अधिसूचना में भूमि आवंटन की सीमा निर्धारित नहीं की गई थी। राजस्व (ग्रुप-6) विभाग की अधिसूचना 01 जुलाई, 2013 के द्वारा भूमि आवंटन की अधिकतम सीमा 2.50 से 3.50 हैक्टेयर प्रति मेगावाट निर्धारित की गई। उन्होंने इस नियम की प्रति मय संशोधन सदन के पटल पर रखी। उन्होंने बताया कि पवन ऊर्जा नीति-2012 में विकासकर्ता को पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिये अधिकतम 5 मेगावाट/हैक्टेयर भूमि आवंटित करने का प्रावधान है। उन्होंने इसकी प्रति सदन के मेज पर रखी। श्री कल्ला ने बताया कि विभाग की अधिसूचना 18 जून, 2007 के द्वारा में भूमि आवंटन की सीमा निर्धारित नहीं की गई थी। उक्त नियमों में अधिसूचना 01 जुलाई, 2013 के द्वारा पवन ऊर्जा संयंत्राें हेतु भूमि आवंटन की अधिकतम सीमा 5 हैक्टेयर/मेगावाट निर्धारित की गई थी। जिसे अधिसूचना 22 फरवरी, 2017 के द्वारा पुनः संशोधित कर 3 हैक्टेयर/मेगावाट कर दिया गया है। उन्होंने इसकी प्रति सदन के पटल पर रखी। उन्होंने बताया कि राजस्थान भू-राजस्व (अक्षय ऊर्जा स्त्रोतों पर आधारित ऊर्जा उत्पादन इकाई की स्थापना हेतु भूमि आवंटन) नियम-2007 के नियमों के अलावा अन्य नियमों में अधिकतम भूमि आवंटन सीमा का प्रावधान नहीं था।
Admin

Admin

9909969099
Right Click Disabled!